एससी/ एसटी एक्ट पर हरियाणा सरकार की लगी मोहर अगले 10 साल के लिए आरक्षण होगा लागू
चंडीगढ़, 20 जनवरी। केंद्र सरकार के बाद अब हरियाणा सरकार द्वारा भी संशोधित एससी/एसटी एक्ट पर मोहर लगाए जाने के बाद हरियाणा के 17 विधानसभा क्षेत्रों तथा दो लोकसभा क्षेत्रों में अगले दस साल के लिए आरक्षण लागू हो गया। हरियाणा विधानसभा (Haryana Vidhan Sabha) के विशेष सत्र में सोमवार को संशोधित एक्ट को मंजूरी प्रदान कर दी गई।
लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में एससी, एसटी की सीटों का आरक्षण 25 जनवरी, 2020 को समाप्त हो रहा है। इसे 10 वर्ष के लिए बढ़ाने को केंद्र सरकार ने संसद में विधेयक पारित कराया था। जिसे अब राज्य विधानसभाओं द्वारा मंजूरी दी जा रही है। हरियाणा में लोकसभा की दो और विधानसभा की 17 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं। संशोधन विधेयक के पारित होने से यह सीटें अगले दस साल के लिए फिर से आरक्षित हो गई हैं। केंद्र सरकार ने संशोधन विधेयक को लगभग तीन सप्ताह पहले शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में पास कराया था।
सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन के नेता एवं मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Chief Minister Manohar Lal Khattar) ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 368 के उपबंध दो के अंतर्गत आते सभी संवैधानिक संशोधन, संविधान (126वां संशोधन) बिल 2019 के माध्यम से हरियाणा में इस एक्ट को लागू करने का प्रस्ताव है।
सीएम द्वारा सदन में प्रस्ताव पेश किए जाने का नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत अन्य सभी विधायकों ने समर्थन किया। जिसके चलते हरियाणा विधानसभा में संशोधित एससी/एसटी एक्ट को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया।
क्या है हरियाणा में आरक्षण की स्थिति
हरियाणा में लोकसभा की कुल 10 लोकसभा सीटों में से अंबाला और सिरसा लोकसभा सीट आरक्षित हैं, जबकि विधानसभा की कुल 90 सीटों में से 17 सीटें आरक्षित हैं। इनमें मुलाना, सढौरा, शाहबाद, गुहला, नीलोखेड़ी, इसराना, खरखौदा, नरवाना, कालांवाली, रतिया, उकलाना, बवानीखेड़ा, झज्जर, कलानौर, बावल, पटौदी, होडल शामिल हैं। विधानसभा में यह बिल पारित होने के बाद उक्त लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का आरक्षण दस वर्ष के लिए बढ़ गया है।