किसी एक प्रोजेक्ट के शुरू होने से कैसे Ease of Doing Business भी बढ़ती है और साथ-साथ Ease of Living भी कैसे बढ़ती है, इसका ये उत्तम उदाहरण है। अभी मुझे जिन चार-पाँच भाई-बहनों से बात करने का मौका मिला और वो अपने अनुभव को जिस प्रकार से बयान करते थे, चाहे वो तीर्थ यात्रा की कल्पना हो, चाहे vehicle को कम से कम नुकसान होने की चर्चा हो, चाहे समय बचाने की चर्चा हो, चाहे खेती में जो उत्पादन होता है उसकी बर्बादी बचाने का विषय हो, fresh fruits, vegetable, सूरत जैसे मार्किट तक पहुँचाने का इतने बढ़िया तरीके से सभी साथियों ने एक प्रकार से इसके जितने आयाम हैं उसको हमारे सामने प्रस्तुत किया और उसके कारण व्यापार में जो सुविधा बढ़ेगी, बहुत सारी स्पीड बढ़ जाएगी, मैं समझता हूँ कि बहुत ही खुशी का माहौल है। व्यापारी, कारोबारी हों, कर्मचारी हों, श्रमिक हों, किसान हों, स्टूडेंट्स हों, हर किसी को इस बेहतरीन कनेक्टिविटी का लाभ होने वाला है। जब अपनों के बीच की दूरियां कम होती हैं, तो मन को भी बहुत संतोष मिलता है।
आज एक तरह से गुजरात के लोगों को दीपावली के त्यौहार का ये बहुत बड़ा उपहार भी मिल रहा है। खुशी के इस अवसर पर उपस्थित गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान विजय रुपाणी जी, केंद्र सरकार में मेरे मंत्रिमंडल के साथी, भाई मानसुख भाई मांडविया जी, भारतीय जनता पार्टी के गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष और संसद में मेरे साथी श्रीमान सीआर पाटिल जी, गुजरात सरकार के सभी मंत्रीगण, सांसदगण, विधायकगण, अन्य सभी जनप्रतिनिधि और अलग-अलग स्थान पर विशाल संख्या में इक्ट्ठे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आज घोघा और हजीरा के बीच रो-पैक्स सेवा शुरु होने से, सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात, दोनों ही क्षेत्रों के लोगों का बरसों का सपना पूरा हुआ है, बरसों का इंतजार समाप्त हुआ है। हजीरा में आज नए टर्मिनल का भी लोकार्पण किया गया है। भावनगर और सूरत के बीच स्थापित हुए इस नए समुद्री संपर्क के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई, अनेक-अनेक शुभकामनाएं!!
साथियों,
इस सेवा से घोघा और हजीरा के बीच अभी जो सड़क की दूरी पौने चार सौ किलोमीटर की है, वो समंदर के रास्ते सिर्फ 90 किलोमीटर ही रह जाएगी। यानि जिस दूरी को कवर करने में 10 से 12 घंटे का समय लगता था, अब उस सफर में सिर्फ 3-4 घंटे ही लगा करेंगे। ये समय तो बचाएगा ही, आपका खर्च भी कम होगा। इसके अलावा सड़क से जो ट्रैफिक कम होगा, वो प्रदूषण कम करने में भी मदद करेगा। जैसा यहां अभी बताया गया, साल भर में, ये आंकड़ा अपने आप में बहुत ही बड़ा आंकड़ा है, साल भर में करीब 80 हजार यात्री यानि 80 हजार यात्री-गाड़ियां, कार करीब-करीब 30 हजार ट्रक इस नई सेवा का लाभ ले सकेंगे। सोचिए, कितना ज्यादा पेट्रोल-डीजल की भी बचत होगी।
साथियों,
सबसे बड़ी बात ये है कि गुजरात के एक बड़े व्यापारिक सेंटर के साथ, सौराष्ट्र की ये कनेक्टिविटी इस क्षेत्र के जीवन को बदलने वाली है। अब सौराष्ट्र के किसानों और पशुपालकों को फल, सब्जी और दूध सूरत पहुंचाने में ज्यादा आसानी होगी। सड़क के रास्ते पहले फल, सब्जी और दूध जैसी चीजें इतना लम्बा समय होने के कारण और ट्रक के अंदर उठा-पटक रहती है तो खाफी कुछ नुकसान भी होता है खासकर के फलों को, सब्जी को काफी नुकसान होता है ये सब बंद हो जाएगा। अब समंदर के रास्ते पशुपालकों और किसानों के उत्पाद और तेजी से, ज्यादा सुरक्षित तरीके से बाज़ार तक पहुंच पाएंगे। इसी तरह सूरत में व्यापार-कारोबार करने वाले साथियों और श्रमिक साथियों के लिए भी आना-जाना और ट्रांसपोर्टेशन बहुत आसान और सस्ता हो जाएगा।
साथियों,
गुजरात में रो-पैक्स फेरी सेवा ऐसी सुविधाओं का विकास करने में बहुत लोगों का श्रम लगा है, ये ऐसे आसानी से नहीं हुआ है। इसको करने में कई कठिनाइयां आईं रास्ते में, कई चुनौतियाँ आईं। इन प्रोजेक्ट्स मैं बहुत पहले से जुड़ा हुआ हूँ और उसके कारण मुझे उन सभी समस्याओं की बहुत जानकारियाँ हैं, कैसी-कैसी मुसीबतों से रास्ते निकालने पड़ते थे, कभी-कभी तो लगता था कि कर पाएंगे कि नहीं कर पाएंगे क्योंकि हम लोगों के लिए तो नया अनुभव था गुजरात में तो और मैंने सारी चीज़ों को देखा है इसलिए इसके लिए जोा मेहनत की है वे सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं। उन तमाम इंजीनियर्स का, श्रमिकों का मैं आज विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं, जो हिम्मत के साथ डटे रहे और आज इस सपने को साकार करके दिखा दे रहे हैं। आज वो परिश्रम, वो हिम्मत, लाखों गुजरातियों के लिए नई सुविधा लेकर आई है, नए अवसर लेकर के आई है।
साथियों,
गुजरात के पास समुद्री व्यापार-कारोबार की एक समृद्ध विरासत रही है। अभी मानसुख भाई सैकड़ों-हजारों साल की तवारीफ बता रहे थे कि कैसे-कैसे हम समुद्री व्यापार से जुड़ हुए थे। गुजरात ने जिस तरह बीते दो दशकों में अपने समुद्री सामर्थ्य को समझते हुए port led development को प्राथमिकता दी है, वो हर गुजराती के लिए गौरव का विषय है। इस दौरान गुजरात के coastal इलाकों में infrastructure और development के दूसरे प्रोजेक्टों पर विशेष ध्यान दिया है। राज्य में शिपबिल्डिंग पॉलिसी बनाना हो, शिपबिल्डिंग पार्क बनाना हो, या Specialised Terminals का निर्माण, हर infrastructure को प्राथमिकता दी गई है। जैसे दहेज में सॉलिड कार्गो, केमिकल और LNG टर्मिनल और मुंद्रा में कोल टर्मिनल। इसके साथ ही, Vessel Traffic मैनेजमेंट सिस्टम और Ground Breaking कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट को भी हमने पूरी तरह बढ़ावा दिया है। ऐसे ही प्रयासों से गुजरात के Port Sector को नई दिशा मिली है।
साथियों,
सिर्फ पोर्ट में फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण ही नहीं, बल्कि उन पोर्ट्स के आसपास रहने वाले साथियों का जीवन भी आसान हो, इसके लिए भी काम किया गया है। कोस्टल एरिया का पूरा इकोसिस्टम ही आधुनिक हो उस पर हमने अपना ध्यान केंद्रित किया है। चाहे वो सागरखेडू जैसी हमारी मिशन-मोड योजना हो या फिर शिपिंग इंडस्ट्री में स्थानीय युवाओं का Skill Development करके उन्हें रोज़गार देना हो, गुजरात में Port Led Development का दायरा बहुत बड़ा रहा है। सरकार ने कोस्टल एरिया में हर प्रकार की बुनियादी सुविधाओं का विकास सुनिश्चित किया है।
साथियों,
ऐसे ही प्रयासों का परिणाम है कि गुजरात आज एक प्रकार से भारत के समुद्री द्वार के रूप में स्थापित हुआ है। Gateway बन रहा है, gateway of prosperity, बीते 2 दशकों में पारंपरिक बंदरगाह संचालन से निकलकर एकीकृत comprehensive का एक अनूठा मॉडल गुजरात में लागू किया गया है। ये मॉडल आज एक बेंचमार्क के रूप में विकसित हुआ है। आज मुंद्रा भारत का सबसे बड़ा बहुउद्देशीय बंदरगाह और सिक्का सबसे बड़ा बंदी बंदरगाह है। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि गुजरात के बंदरगाह, देश के प्रमुख समुद्री केंद्रों के रूप में उभरे हैं। पिछले वर्ष देश के कुल समुद्री व्यापार में से 40 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी, गुजरात के बंदरगाहों की रही है, ये शायद गुजरात के लोगों को भी मैं आज पहली बार बता रहा हूँ।
साथियों,
आज गुजरात में, समुद्री कारोबार से, उससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को और कैपेसिटी बिल्डिंग पर तेज़ी से काम चल रहा है। जैसे गुजरात मेरीटाइम क्लस्टर, गुजरात समुद्री विश्वविद्यालय maritime university, भावनगर में दुनिया का पहला सीएनजी टर्मिनल, ऐसी अनेक सुविधाएं गुजरात में तैयार हो रही हैं। गिफ्ट सिटी में बनने वाला गुजरात मेरीटाइम क्लस्टर बंदरगाहों से लेकर Sea Based Logistics को address करने वाला एक समर्पित तंत्र होगा। ये क्लस्टर एक प्रकार से सरकार, उद्योग और शिक्षण संस्थानों के बीच के सहयोग को बल देगा। इससे इस सेक्टर में वैल्यू एडिशन में भी बहुत बड़ी मदद मिलेगी।
साथियों,
बीते वर्षों में, दहेज में भारत का पहला रासायनिक टर्मनिल बना, पहला LNG टर्मनिल बना। अब भावनगर पोर्ट पर दुनिया का पहला सीएनजी टर्मिनल स्थापित होने जा रहा है। सीएनजी टर्मिनल के अलावा भावनगर बंदरगाह पर रो-रो टर्मिनल, लिक्विड कार्गो टर्मिनल और कंटेनर टर्मिनल जैसी सुविधाएं भी तैयार की जा रही हैं। इन नए टर्मिनलों के जुड़ने से भावनगर बंदरगाह की क्षमता कई गुणा बढ़ जाएगी।
साथियों,
सरकार का प्रयास, घोघा-दहेज के बीच फेरी सर्विस को भी जल्द फिर शुरू करने का है। इस प्रोजेक्ट के सामने प्रकृति से जुड़ी अनेक चुनौतियां सामने आ के खड़ी हुई हैं। उन्हें आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। मुझे उम्मीद है, घोघा और दहेज के लोग जल्द ही इस सुविधा का लाभ फिर ले पाएंगे।
साथियों,
समुद्री व्यापार-कारोबार के लिए एक्सपर्ट तैयार हों, एक ट्रेन्ड मैनपावर हो, इसके लिए गुजरात में मेरीटाइम यूनिवर्सिटी बहुत बड़ा सेंटर है। इस सेक्टर से जुड़ी आवश्यकताओं के लिए प्रोफेशनल एजुकेशन देने वाला ये देश का पहला संस्थान है। आज यहां समुद्री कानून और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानूनी की पढ़ाई से लेकर मैरीटाइम मैनेजमेंट, शिपिंग, लॉजिस्टिक्स उसमें भी MBA तक की सुविधा मौजूद है। यूनिवर्सिटी के अलावा लोथल में जिसका अभी मानसुख भाई ने थोड़ा उल्लेख किया था लोथल में देश की समुद्री विरासत को संजोने वाला पहला नेशनल म्यूजियम बनाने की दिशा में भी काम चल रहा है।
साथियों,
आज की रो-पैक्स फेरी सेवा हो या फिर कुछ दिन पहले शुरू हुई सी प्लेन जैसी सुविधा, इससे Water-Resource Based Economy को बहुत गति मिल रही है और आप देखिए, जल, थल, नभ तीनों में इन दिनों गुजरात ने बहुत बड़ा jump लगाया है। कुछ दिन पहले मुझे मौका मिला गिरनार में ropeway के लोकार्पण का वो tourism को भी बल देगा, यात्रियों की सुविधा बढ़ायेगा और नभ में जाने का एक नया रास्ता देगा। उसके बाद मुझे सी-प्लेन का मौका मिला, एक जगह से पानी से उड़ना, दूसरी जगह पे पानी में उतरना और आज समुद्र के अंदर पानी के माध्यम से प्रवास करना यानि एक साथ कितने प्रकार की गति बढ़ने वाली है, इसका आप भली भांति अंदाज़ा लगा सकते हैं।
साथियों,
जब समुद्र की बात आती है, पानी की बात आती है, तो इसका विस्तार, मछली से जुड़े व्यापार कारोबार से लेकर सी-वीड की खेती से लेकर वॉटर ट्रांसपोर्ट और टूरिज्म तक है। बीते वर्षो में देश में ब्लू इकॉनॉमी को सशक्त करने के लिए भी गंभीर प्रयास किए गए हैं। पहले ocean economy की बात होती थी और आज हम blue economy की भी बात कर रहे हैं।
साथियों,
समुद्री किनारे के पूरे Eco-system और मछुआरे साथियों की मदद के लिए भी बीते वर्षों में अनेक योजनाएं बनाई गई हैं। चाहे आधुनिक ट्रोलर्स के लिए मछुवारों को आर्थिक मदद हो या फिर मौसम और समुद्री रास्तों की सही जानकारी देने वाली नेविगेशन सिस्टम हो, मछुआरों की सुरक्षा और समृद्धि, ये हमारी प्राथमिकता है। हाल में मछली से जुड़े व्यापार को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना भी शुरू की गई है। इसके तहत आने वाले वर्षों में फिशरीज से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर 20 हज़ार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसका बहुत बड़ा लाभ गुजरात के लाखों मछुआरे परिवारों को होगा, देश की ब्लू इकॉनमी को होगा।
साथियों,
आज देशभर की समुद्री सीमा में पोर्ट्स की कैपेसिटी को भी बढ़ाया जा रहा है और नए पोर्ट्स का भी निर्माण तेज़ी से चल रहा है। देश के पास करीब 21 हज़ार किलोमीटर का जो जलमार्ग है, वो देश के विकास में अधिक से अधिक कैसे काम आए, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सागरमाला प्रोजेक्ट के तहत आज देशभर में 500 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। लाखों करोड़ रुपए के इन प्रोजेक्ट्स में से अनेक पूरे भी हो चुके हैं।
साथियों,
समुद्री जलमार्ग हो या फिर नदी जलमार्ग, भारत के पास संसाधन भी रहे हैं और Expertise की भी कोई कमी नहीं रही। ये भी तय है कि जलमार्ग से होने वाला ट्रांसपोर्टेशन सड़क और रेलमार्ग से कई गुना सस्ता पड़ता है और पर्यावरण को भी कम से कम नुकसान होता है। फिर भी इस दिशा में एक होलिस्टिक अप्रोच के साथ 2014 के बाद ही काम हो पाया है। ये नदियाँ, ये समुद्र ये मोदी प्रधानमंत्री बनने का बाद नहीं आया है, ये था लेकिन वो दृष्टि नहीं थी जो 2014 के बाद आज देश अनुभव कर रहा है। आज देशभर की नदियों में जो इनलैंड वॉटरवेज़ पर काम चल रहा है, उससे कई Land-locked राज्यों को समंदर से जोड़ा जा रहा है। आज बंगाल की खाड़ी में, हिंद महासागर में अपनी क्षमताओं को हम अभूतपूर्व रूप से विकसित कर रहे हैं। देश का समुद्री हिस्सा आत्मनिर्भर भारत का एक अहम हिस्सा बनकर उभरे, इसके लिए निरंतर काम चल रहा है। सरकार के इन प्रयासों को गति देने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया जा रहा है। अब Ministry of Shipping का भी नाम बदला जा रहा है। अब ये मंत्रालय Ministry of Ports, Shipping and Waterways के नाम से जाना जाएगा, उसका विस्तार किया जा रहा है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ज्यादातर जगहों पर Shipping मंत्रालय ही Ports और Waterways का भी दायित्व संभालता है। भारत में Shipping मंत्रालय Ports और Waterways से जुड़े काफी कार्यों को करता आ रहा है। अब नाम में अधिक स्पष्टता आने से काम में भी अधिक स्पष्टता आ जाएगी।
साथियों,
आत्मनिर्भर भारत में ब्लू इकॉनॉमी की हिस्सेदारी को मजबूत करने के लिए समुद्र से जुड़े लॉजिस्टिक्स को मजबूत करना बहुत ज़रूरत है। ये इसलिए ज़रूरी है क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था पर Logistics पर होने वाले खर्च का प्रभाव ज्यादा है। यानि सामान को देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में ले जाने पर दूसरे देशों की अपेक्षा हमारे देश में आज भी खर्च ज्यादा होता है। वॉटर ट्रांसपोर्ट से Cost of Logistics उसको बहुत कम किया जा सकता है। इसलिए हमारा फोकस एक ऐसे इकोसिस्टम को बनाने का है जहां कार्गो की Seamless Movement सुनिश्चित हो सके। आज एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ बेहतर Maritime Logistics के लिए सिंगल विंडो सिस्टम पर भी हम काम करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं, उसकी तैयारियाँ चल रही हैं।
साथियों,
Logistics पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए अब देश Multi-modal Connectivity की दिशा में एक बहुत ही holistic view के साथ और दीर्घकालीन सोच के साथ आगे बढ़ रहा है। कोशिश ये है कि रोड, रेल, एयर और शिपिंग जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर की आपस में कनेक्टिविटी भी बेहतर हो और इसमें जो Silos आते हैं, उनको भी दूर किया जा सके। देश में Multi-modal Logistics Parks का निर्माण भी किया जा रहा है और देश के भीतर ही नहीं, बल्कि अपने पड़ोसी देशों के साथ भी मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के विकास के लिए मिलकर काम हो रहा है। मुझे विश्वास है कि इन तमाम प्रयासों से हम अपनी Logistic Cost को बहुत कम कर पाने में सफल हो पाएंगे। Logistics की कीमत को काबू में रखने के लिए हो, जो प्रयत्न हो रहे हैं, इन्हीं प्रयासों से अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी।
साथियों,
त्योहारों के इस समय में खरीदारी भी खूब हो रही है। इस खरीदारी के समय, मैं जरा सूरत के लोगों से जरा आग्रह करूँगा क्योंकि उनको तो दुनिया में आने-जाने का बड़ा routine होता है मैं इस खरीदारी के समय वोकल फॉर लोकल, ये वोकल फॉर लोकल का मंत्र भूलना नहीं है। वोकल फॉर लोकल और मैंने देखा है कि लोगों को लगता है कि दीये खरीद लिए तो मतलब हम आत्मनिर्भर हो गए, जी नहीं, हर चीज़ में ध्यान देना है वरना इन दिनों सिर्फ दीये को ही अरे भई हम भारत का दीया लेंगे अच्छी बात है। लेकिन अगर आप खुद देखोगे, अपने शरीर पे, अपने घर में, इतनी चीजें बाहर की होंगी जो हमारे देश के लोग बनाते हैं, हमारे छोटे-छोटे लोग बनाते हैं, हम उनको क्यों अवसर न दें। देश को आगे बढ़ाना है न दोस्तों, तो उसके लिए हमारे इन छोटे-छोटे लोगों को, छोटे-छोटे व्यापारियों को, छोटे-छोटे कारीगरों को, छोटे-छोटे कलाकारों को, गांव की हमारी बहनों को, ये जो चीजें बनाती हैं अनेक प्रकार की चीजें बनाती हैं, एक बार लेकर के देखिये तो सही और गर्व से दुनिया को बताइये ये हमारे गांव के लोगों ने बनाया, हमारे जिले के लोगों ने बनाया, हमारे देश के लोगों ने बनाया। देखिए आपका भी सीना चौड़ा हो जाएगा। दीवाली मनाने का मजा और आ जाएगा इसलिए वोकल फॉर लोकल, कोई compromise नहीं करेंगे।
देश आजादी के 75 साल मनाने वाला है, तब तक ये मंत्र हमारे जीवन का मंत्र माना जाए, हमारे परिवार का मंत्र बन जाए, हमारे घर के हर व्यक्ति के मन में ये भाव पैदा हो इस पर हमारा बल होना चोहिए और इसलिए ये दीवाली, ये दीवाली वोकल फॉर लोकल का एक turning point बन जाए, मैं मेरे गुजरात के भाईयों-बहनों से जरा हक से भी मांग सकता हूँ और मुझे पता है कि आप कभी निराश नहीं करोगे, अभी नंदलाल जी बता रहे थे न कि आपने बहुत पहले मुझे कहा था, मैंने इसको लागू किया, देखिए मुझे कितना संतोष हुआ कि कभी नंदलाल जी को एक बात बताई होगी, जो उन्होंने सुनी होगी, उन्होंने आज उसको लागू कर दिया। आप भी सब मेरे लिए तो हर कोई नंदलाल है, आइए मेहनत करें, मेरे देश के गरीबों के लिए कुछ करें। दीवाली मनाए, उनके घर में भी दीवाली मने। दीया जलाए, गरीब के घर में भी दीया जलाए, वोकल फॉर लोकल के मंत्र को आगे बढ़ाए। मुझे विश्वास है कि कोरोना के इस समय में आप सब भी पूरी सावधानी के साथ त्यौहारों को मनाएंगे क्योंकि आपकी रक्षा वो भी देश की ही रक्षा है। मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, पूरे देश के सभी भाईयों-बहनों को मैं आने वाले दिनों में धनतेरस हो, दीपावली हो, गुजरात के लिए ये नया वर्ष आएगा, हर बात के लिए, हर त्यौहार के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ।
बहुत-बहुत धन्यवाद !
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