पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि लगातार भर्ती घोटालों को अंजाम देकर और बेरोजगारी बढ़ाकर बीजेपी-जेजेपी हरियाणा के वर्तमान ही नहीं, भविष्य के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। बाकायदा कोर्ट में बार-बार सरकार के भर्ती घोटालों और नीतियों की पोल खुल रही है। वेटनरी सर्जन भर्ती और 75 प्रतिशत आरक्षण का रद्द होना इसका ताजा उदाहरण है। वैसे भी बीजेपी-जेजेपी ने हरियाणा डोमिसाइल के नियमों में फेरबदल करके 75 प्रतिशत आरक्षण को शून्य कर दिया था।
यह सिर्फ राजनीतिक माइलेज लेने के लिए जनता के बीच उछाला गया जुमला था,डोमिसाइल का 15 से 5 साल करने पर विधानसभा में भी मुद्दा उठाया था। 75%आरक्षण अब जो कोर्ट में भी नहीं ठहर पाया। जो सचमुच में हरियाणा वासियो को गुमराह करने की मंशा थी। वहीं, 383 पदों वाली वेटरनरी सर्जन भर्ती रद्द होने से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि इस सरकार में भर्ती के नाम पर सिर्फ घोटाले हो रहे हैं। दिसंबर 2022 में निकली इस भर्ती को रद्द करने में सरकार ने पूरा एक साल लगा दिया। जबकि यह वहीं भर्ती थी जिसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़झाले हुए। इसमें पेपर लीक से लेकर महाराष्ट्र में साल 2017 की एक परीक्षा से 24 सवाल हूबहू कॉपी करने और 26 सवालों के गलत जवाब के आरोप लगे थे।
बावजूद इसके अब तक पूरे मामले में किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि अभ्यर्थियों ने कोर्ट को 22 संदिग्ध लोगों के मोबाइल नंबर दिए थे, जो पेपर होने से दो दिन पहले ही बंद हो गए थे। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि सरकार खुद भर्ती घोटाले करने वालों को संरक्षण दे रही है। इससे पहले भी एचसीएस और नायब तहसीलदार से लेकर कांस्टेबल और क्लर्क तक की भर्तियों में घपले देखने को मिले थे। पिछले 9 साल में इस सरकार के दौरान 30 से ज्यादा पेपर लीक हो चुके हैं। कैश फॉर जॉब घोटाले के अनगिनत मामले सामने आए हैं। एचपीएससी के कार्यालय में अधिकारी लाखों रुपए के साथ पकड़े गए और एचएसएससी के कार्यालय में नतीजों के साथ छेड़छाड़ करते कारिंदे पकड़े गए। लेकिन किसी भी मामले में जांच उच्च पदों पर विराजमान और सत्ताधारियों तक नहीं पहुंची।
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि किसी भी मामले में एचएसएससी और एचपीएससी के सदस्यों और चेयरमैन की कोई जांच नहीं हुई। जबकि कांग्रेस ने सड़क से लेकर विधानसभा तक बार-बार मांग उठाई कि दोनों संस्थाओं को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करके पूरे मामले की जांच हाई कोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी में करवानी चाहिए। दफ्तर में बैठकर नौकरियों को बेचने वालों के साथ-साथ उन्हें संरक्षण देने वाले उच्च पदों पर विराजमान लोगों को भी कानून के दायरे में लाकर कार्रवाई करनी चाहिए। अगर सरकार घोटालेबाजों को संरक्षण नहीं दे रही तो वह निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच से क्यों भाग रही है?
भूपेंद्र सिंह ने कहा कि कोर्ट में बीजेपी-जेजेपी के 75% आरक्षण वाले ड्रामे की भी पोल खुल गई। सरकार द्वारा बिना किसी अध्ययन के लागू किए गए कानून को कोर्ट ने बर्खास्त कर दिया। हुड्डा ने कहा कि अगर यह सरकार हरियाणवी युवाओं को रोजगार देने के प्रति गंभीर होती तो सबसे पहले सरकारी भर्तियों में स्थानीय युवाओं को संरक्षण देने का काम करती। लेकिन इसके विपरीत अन्य राज्य के लोगों को ज्यादा से ज्यादा नौकरियां देने के मकसद से बीजेपी-जेजेपी ने बाकायदा हरियाणा डोमिसाइल के नियमों में ढिलाई दी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने विधानसभा में बार-बार सरकार के इस फैसले का विरोध किया। तथ्यों और तर्कों के साथ सरकार को बताया था कि यह फैसला किसी भी सूरत में हरियाणवियों के लिए हितकारी नहीं है। पहले से ही देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे प्रदेश के युवाओं के हक की नौकरियों पर भी इस फैसले की वजह से अन्य राज्य के लोगों का कब्जा हो जाएगा। लेकिन सरकार इसी मकसद से यह नियम लेकर आई थी। इसीलिए उसने भर्ती पेपरों से हरियाणा जीके के प्रश्नों को खत्म कर दिया। इतना ही नहीं एचपीएससी का चेयरमैन पद भी दूसरे राज्य के व्यक्ति को सौंप दिया गया। जाहिर है कि नीतिगत तौर पर बीजेपी-जेजेपी हरियाणवी विरोधी है। इसीलिए वह हरियाणा के युवाओं को रोजगार से वंचित करके उन्हें नशे और अपराध के दलदल में धकेल रही हैं। इस सरकार की नीतियों के चलते हरियाणवी युवा अपना प्रदेश व देश छोड़कर दूसरे देशों में पलायन कर रहे हैं।
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