प्रदेश में लोकसभा चुनाव में लिए मैदान सज रहा है। इसी बीच राजनीतिक दलों द्वारा वैश्य बिरादरी से 2 उम्मीदवारों को एक ही लोकसभा क्षेत्र में किस्मत आजमाने का मौका दिया, यह साबित करने के लिए काफी है कि अब राजनीतिक दल वैश्य समाज को गम्भीरता से लेने लगे हैं। सम्भावनाएं जताई जा रही हैं कि लोकसभा के बाद विधानसभा चुनावों में भी इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।
दो साल पहले प्रदेश में हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष राजीव जैन द्वारा वैश्य बिरादरी के उम्मीदवारों को प्रतिनिधित्व देने की मुहिम में बिरादरी को जोड़ने और राजनीतिक दलों से आह्वान किए जाना अब रंग ला रहा है। प्रदेश में वैश्य समाज मे संगठनों द्वारा मिलकर किए गए प्रयासों की बदौलत एक दशक बाद राष्ट्रीय राजनीतिक दलों द्वारा प्रदेश में वैश्य बिरादरी के नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया है। भले ही कुरुक्षेत्र में भाजपा व इंडिया गठबंधन द्वारा वैश्य उम्मीदवार उतारे गए हैं, लेकिन इससे प्रदेश में छह महीने बाद प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में यह प्रतिनिधित्व तेजी से बढ़ने की उम्मीद बन गई है। गौरतलब है हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष एवं दो मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रह चुके राजीव जैन दो वर्ष पूर्व सभी दलों से एक लोकसभा सीट, एक राज्यसभा सीट तथा विधानसभा में 15 टिकट देने के लिए प्रयास शुरू किए गए थे। उन्होंने न केवल प्रदेश के सभी वैश्य संगठनों को एक मंच पर लाने की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया, वहीं योजनाबद्ध तरीके से सिलसिलेवार कार्यक्रमों की श्रृंखला का आगाज किया। वैश्य समाज ने राजनीतिक दलों को अपनी ताकत का अहसास करवाने के लिए पूरे प्रदेश में महाराजा अग्रसेन के 18 गोत्रों से ओत-प्रोत 18 युवकों की 11 दिनों तक मोटर साइकिल यात्रा निकाली और गत वर्ष एक अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती की पूर्व संध्या पर जींद में वैश्य संकल्प रैली के माध्यम से हजारों की भीड़ जुटाकर राजनैतिक दलों को चेता दिया था कि समाज की की गई अनदेखी होने वाले चुनावों में भारी पड़ेगी।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी इस बार शुरुआत से ही वैश्य समाज को एक टिकट देने पर मंथन कर रही थी। चुनाव की तैयारियों के लिए आयोजित प्रारंभिक बैठकों में भी यह मुद्दा जोर शोर से उठता रहा। भाजपा ने संगठन के रूप में अर्चना गुप्ता की महामंत्री पद पर की गई नियुक्ति इसी दिशा में एक सार्थक पाणिनाम था। कांग्रेस और आप पार्टी के समझौते में कुरुक्षेत्र की सीट से पूर्व राज्य सभा सदस्य डॉक्टर सुशील गुप्ता को मैदान में उतारे जाने से भाजपा पर दबाव और भी बढ़ गया। भाजपा शुरू से ही कुरुक्षेत्र सीट पर प्रमुख उद्योगपति एवं पूर्व सांसद नवीन जिंदल पर दांव लगाने के लिए जोर लगा रही थी और आखिर कामयाब हुई। नवीन जिंदल द्वारा बार बार मना किये जाने पर सोनीपत से पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन, फरीदाबाद से विपुल गोयल तथा करनाल से मेयर रेणुबाला गुप्ता के नाम पर गंभीरता से विचार हुआ।
भाजपा शासन के पहले कार्यकाल में वैश्य समाज के रूप में दो मंत्री कविता जैन एवं विपुल गोयल तथा कैबिनेट रैंक दर्जा प्राप्त मुख्य सचेतक ज्ञान चंद गुप्ता, राज्य मंत्री का दर्जा देकर हरियाणा पब्लिक इंटर प्राइजेज के वाइस चेयरमैन कमल गुप्ता, मीडिया सलाहकार के रूप में राजीव जैन, मुख्यमंत्री कार्यालय में निजी सचिव के रूप में दीपक मंगला तथा राजेश गोयल के रूप में भरपूर प्रतिनिधित्व दे रखा था। दूसरे कार्यकाल में केवल एक विधानसभा अध्यक्ष के रूप में प्रतिनिधित्व देने से समाज में आक्रोश शुरू हुआ और संगठनों को मिलकर मुहिम शुरू करनी पड़ी। बाद में कमल गुप्ता को मंत्री मंडल में शामिल किया गया। अब दुबारा मन्त्रिमण्डल विस्तार में डॉ कमल गुप्ता और असीम गोयल को मंत्री बनाकर वैश्य समाज को संतुष्ट करने का प्रयास किया गया। हरियाणा प्रदेश वैश्य महासम्मेलन सभी राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व देने के लिए आभार व्यक्त करता है और भविष्य में भी वैश्य बिरादरी को आनुपातिक दृष्टिकोण से विधानसभा में सीटें देने की मांग को पुनः दोहराता है।
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