जरूरी है पूरी श्रद्धा और नियमों से की जाये छठ की पूजा एवं व्रत
सूर्य देव की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए की जाती है छठ पूजा
सूर्य देव की आराधना और संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए की जाती है छठ पूजा, जिसके लिए न केवल पूरी श्रद्धा से इस व्रत को रखना जरूरी है, बल्कि नियमों का भी सही से पालन होना बेहद जरूरी होता है। यह त्योहार हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, छठ मैया और सूर्य भगवान का यह मुख्य त्योहार चार दिन चलता है। पूजा से पहले घर की अच्छी तरह साफ-सफाई की जाती है, घर में जहां छठ पूजा होनी है, मल कमरे में खास तैयारी करनी होती है तथा इस कमरें में हर किसी को प्रवेश नहीं मिलता है। बिहार में यह महापर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है तथा इस सबसे कठिन व्रतों में से एक मन जाता है ।
ये है मान्यता
इस दिन छठी मइया की पूरे विधि-विधान से पूजा जाता है. छठ पर्व के पहले दिन नहाय-खाए, दूसरे दिन खरना मनाया जाता है। षष्ठी की शाम ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर अगली सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व का समापन किया जाता है। यह मन जाता है कि छठ का व्रत रखने से संतान की प्राप्ति होती है और बच्चों से जुड़े कष्टों का निवारण होता है। छठी मइया का व्रत रखने से सूर्य भगवान की भी कृपा बरसती है।
आसान नहीं हैं छठ पूजा के नियम
– छठ पर्व का व्रत रखने वालों को चारों दिन नए कपड़े पहनाने चाहिए, महिलाएं इस अवसर पर साड़ी तथा पुरुष धोती पहनते हैं।
– छठी मैया का प्रसाद पूरी शुद्धता की साथ बनाना चाहिए, ये मिटटी का चूल्हा हैं तो उसे ताजा लीपा गया हो और यदि गैस पर बना रहे हैं, तो उसे अच्छी तरह से धो-पोंछ कर साफ कर लें।
– चारों दिन व्रत रखने एवं पूजा करने वाले व्यक्ति को पलंग या तख्त पर नहीं, बल्कि जमीन पर चटाई बिछाकर सोना होता है, वह कंबल इत्यादि रात को ओढ़ कर सो सकता है।
– पूजा के लिए बांस से बनी टोकरी यूज़ करनी चाहिए।
– छठ पूजा के दौरान कभी स्टील या शीशे के बर्तन यूज़ नहीं करने चाहिए तथा सात्विक भोजन ही बनाना और खाना चाहिए।
– जो महिलाएं छठ के दौरान व्रत रख रही हैं, उनकी सेवा जरूर करें, क्योंकि छठ पूजा का व्रत करने वाली महिला को बहुत पवित्र माना जाता है और उनकी सेवा करने से पुण्य मिलता है।
नियमों का पालन है बेहद जरूरी
– सूर्य को अर्ध्य से पहले कभी भी भोजन ग्रहण न करें।
– छठ पूजा में सूर्य को अर्ध्य देने की लिए तांबे के लोटे का प्रयोग करना चाहिए।
– छठ पर्व के तीन दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
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