National News

Text of PM’s address at webinar on positive impact of Union Budget 2022 on the education and skill sector

Posted On: 21 FEB 2022 2:17PM by PIB Delhi

नमस्कार।

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगीगण, एजुकेशन, स्किल डेवलपमेंट, साइंस, टेक्नॉलॉजी और रिसर्च से जुड़े सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

हमारी सरकार ने बजट से पहले और बजट के बाद, स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की, संवाद की एक विशेष परंपरा विकसित की है। आज का ये कार्यक्रम, उसी की एक कड़ी है। इसी क्रम में आज शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट को लेकर बजट में जो प्रावधान हुए हैं, उस पर आप आप सभी स्टेकहोल्डर्स से अलग-अलग पहलुओं पर विस्‍तार से चर्चा होने वाली है।

Friends,

हमारी आज की युवा पीढ़ी, देश के भविष्य की कर्णधार है, वही भविष्य के Nation Builders भी हैं। इसलिए आज की युवा पीढ़ी को empowering करने का मतलब है, भारत के भविष्य को empower करना। इसी सोच के साथ 2022 के बजट में Education Sector से जुड़ी पांच बातों पर बहुत जोर दिया गया है।

पहला –

Universalization of Quality Education: हमारी शिक्षा व्यवस्था का विस्तार हो, उसकी क्वालिटी सुधरे और एजुकेशन सेक्टर की क्षमता बढ़े, इसके लिए अहम निर्णय लिए गए हैं।

दूसरा है-

Skill Development: देश में digital skilling ecosystem बने, इंडस्‍ट्री 4.0 की जब चर्चा चल रही है तो इंडस्ट्री की डिमांड के हिसाब से skill डवलपमेंट हो, industry linkage बेहतर हो, इस पर ध्यान दिया गया है।

तीसरा महत्वपूर्ण पक्ष है-

Urban planning और design. इसमें भारत का जो पुरातन अनुभव और ज्ञान है, उसे हमारी आज की शिक्षा में समाहित किया जाना आवश्यक है।

चौथा अहम पक्ष है-

Internationaliztion: भारत में वर्ल्ड क्लास विदेशी यूनिवर्सिटियां आएं, जो हमारे औद्योगिक क्षेत्र हैं, जैसे GIFT City, वहां Fin Tech से जुड़े संस्थान आएं, इसे भी प्रोत्साहित किया जाए।

पांचवा महत्वपूर्ण पक्ष है-

AVGC- यानि Animation Visual Effects Gaming Comic, इन सभी में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं, एक बहुत बड़ा ग्लोबल मार्केट है। इसे पूरा करने के लिए हम भारतीय टैलेंट का कैसे इस्तेमाल बढ़ाएं, इस पर भी उतना ही ध्यान दिया गया है। ये बजट नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को ज़मीन पर उतारने में बहुत मदद करने वाला है।

साथियों,

कोरोना आने से काफी पहले से मैं देश में डिजिटल फ्यूचर की बात कर रहा था। जब हम अपने गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ रहे थे, जब हम डेटा की कीमत कम से कम रखने के प्रयास कर रहे थे, कनेक्टिविटी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधार रहे थे तो कुछ लोग सवाल उठाते थे कि इसकी जरूरत क्या है। लेकिन महामारी के समय में हमारे इन प्रयासों की अहमियत को सबने देख लिया है। ये डिजिटल कनेक्टिविटी ही है जिसने वैश्विक महामारी के इस समय में हमारी शिक्षा व्यवस्था को बचाए रखा।

हम देख रहे हैं कि कैसे भारत में तेजी से डिजिटल डिवाइड कम हो रहा है। Innovation हमारे यहां inclusion सुनिश्चित कर रहा है। और अब तो देश Inclusion से भी आगे बढ़कर integration की तरफ जा रहा है।

इस दशक में हम जो आधुनिकता शिक्षा व्यवस्था में लाना चाहते हैं, उसके आधार को मजबूत करने के लिए इस साल के बजट में कई घोषणाएं की गई हैं। डिजिटल एजुकेशन, डिजिटल फ्यूचर की तरफ बढ़ते भारत के व्यापक विजन का हिस्सा है। इसलिए ई-विद्या हो, वन क्लास वन चैनल हो, डिजिटल लैब्स हों, डिजिटल यूनिवर्सिटी हो, ऐसा एजुकेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर युवाओं को बहुत मदद करने वाला है। ये भारत के socio-economic setup में गांव हों, गरीब हों, दलित, पिछड़े, आदिवासी, सभी को शिक्षा के बेहतर समाधान देने का प्रयास है।

साथियों,

नेशनल डिजिटल यूनिवर्सिटी, भारत की शिक्षा व्यवस्था में अपनी तरह का अनोखा और अभूतपूर्व कदम है। मैं डिजिटल यूनिवर्सिटी में वो ताकत देख रहा हूं कि ये यूनिवर्सिटी हमारे देश में सीटों की जो समस्या होती है, उसे पूरी तरह समाधान दे सकती है। जब हर विषय के लिए अनलिमिटेड सीट्स होंगी तो आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना बड़ा परिवर्तन शिक्षा जगत में आ जाएगा। ये डिजिटल यूनिवर्सिटी लर्निंग और री-लर्निंग की मौजूदा और भविष्य की ज़रूरतों के लिए युवाओं को तैयार करेगी। शिक्षा मंत्रालय, UGC, AICTE और सभी स्टेकहोल्डर्स से मेरा आग्रह है कि ये डिजिटल यूनिवर्सिटी तेजी से काम शुरु कर सके, ये सुनिश्चित होना चाहिए। शुरु से ही ये डिजिटल यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को लेकर चले, ये देखना हम सभी का दायित्व है।

साथियों,

देश में ही ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंस्टीट्यूट्स का निर्माण करने का सरकार का इंटेंट और उसके लिए पॉलिसी फ्रेमवर्क भी आपके सामने है। अब आपको अपने प्रयासों से इस इंटेंट को ज़मीन पर उतारना है। आज विश्व मातृभाषा दिवस भी है। मातृभाषा में शिक्षा बच्चों के मानसिक विकास से जुड़ी है। अऩेक राज्यों में स्थानीय भाषाओं में मेडिकल और टेक्‍नीकल एजुकेशन की पढ़ाई शुरु हो चुकी है।

अब सभी शिक्षाविदों की ये विशेष ज़िम्मेदारी है कि स्थानीय भारतीय भाषाओं में बेस्ट कंटेंट और उसके digital version के निर्माण को गति दी जाए। भारतीय भाषाओं में ये E-content, Internet, Mobile Phone, TV और Radio के माध्यम से सभी के लिए एक्सेस हो, इस पर काम करना है।

भारतीय Sign Language में भी हम ऐसे पाठ्यक्रम विकसित कर रहे हैं, जो दिव्यांग युवाओं को सशक्त कर रहे हैं। इसमें भी निरंतर सुधार करते रहना बहुत ज़रूरी है। डिजिटल टूल्स, डिजिटल कंटेंट को कैसे बेहतर तरीके से डिलिवर किया जाए, इसके लिए हमें टीचर्स को भी ऑनलाइन ट्रेन करने पर जोर देना होगा।

साथियों,

डायनामिक स्किलिंग, आत्मनिर्भर भारत के लिए और ग्लोबल टैलेंट डिमांड के लिहाज़ से भी बहुत अहम है। पुराने जॉब रोल्स जिस तेज़ी से बदल रहे हैं, उनके अनुसार हमें अपने demographic dividend को तेजी से तैयार करना होगा। इसलिए अकेडमिया और इंडस्ट्री को मिलकर प्रयास करने की ज़रूरत है। डिजिटल इकोसिस्टम फॉर स्किलिंग एंड लाइवलीहुड (DESH STACK ई-पोर्टल) और ई-स्किलिंग लैब की जो घोषणा बजट में की गई है, उसके पीछे यही सोच है।

साथियों,

आज टूरिज्म इंडस्ट्री, ड्रोन इंडस्ट्री, एनिमेशन और कार्टून इंडस्ट्री, डिफेंस इंडस्ट्री, ऐसी इंडस्ट्री पर हमारा बहुत अधिक फोकस है। इन सेक्टर्स से जुड़े मौजूदा उद्योगों और स्टार्ट अप्स के लिए हमें ट्रेन्ड मैनपावर की आवश्यकता है। एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट, गेमिंग और कॉमिक सेक्टर के विकास के लिए टास्क फोर्स का गठन इसमें बहुत मदद करने वाला है। इसी तरह, अर्बन प्लानिंग और डिज़ाइनिंग देश की ज़रूरत भी है और युवाओं के लिए अवसर भी है। आज़ादी के अमृतकाल में भारत अपने अर्बन लैंडस्केप को ट्रांसफॉर्म करने की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा है। इसलिए AICTE जैसे संस्थानों से देश की ये विशेष अपेक्षा है कि इससे जुड़ी पढ़ाई और ट्रेनिंग में निरंतर सुधार हो।

साथियों,

एजुकेशन सेक्टर के द्वारा हम आत्मनिर्भर भारत के अभियान को कैसे सशक्त करेंगे, इस पर आप सभी के इनपुट्स देश के काम आएंगे। मुझे विश्वास है कि हम सभी के साझा प्रयासों से बजट में तय लक्ष्यों को हम तेज़ी से लागू कर पाएंगे। मैं ये भी कहना चाहूंगा कि हमारी प्राथमिक शिक्षा है गांव तक, अनुभव यह आ रहा है कि स्‍मार्ट क्लास के द्वारा, एनीमेशन के द्वारा, दूर-सुदूर लॉन्‍ग डिस्‍टेंट एजुकेशन के द्वारा या हमारी जो नई कल्‍पना है कि one class, one channel के द्वारा गांव तक हम अच्‍छी क्‍वालिटी की शिक्षा का प्रबंध कर सकते हैं। बजट में इसका प्रावधान है। हम इसको लागू कैसे करें।

आज जब हम बजट को ले करके चर्चा कर रहे हैं, तो आज अपेक्षा ये नहीं है कि बजट कैसा हो, क्‍योंकि वो तो हो गया। अब अपेक्षा आपसे ये है कि बजट की जो चीजें हैं वो जल्‍दी से जल्‍दी हम seamlessly नीचे लागू कैसे करें। आपने बजट का अध्‍ययन किया होगा, आप फील्‍ड में काम करते हैं, बजट और आपके काम और एजुकेशन डिमार्टमेंट की, स्किल डिमार्टमेंट की अपेक्षाएं हैं। इन तीनों को मिला करके अगर हम एक अच्‍छा रोडमैप बना देते हैं, हम time bound काम की रचना कर देते हैं, हमारे यहां आपने देखा होगा कि बजट हमने करीब एक महीना prepone कर दिया।

पहले बजट 28 फरवरी को होता था अब इसको 1 फरवरी को ले गए, क्‍यो, तो बजट 1 अप्रैल से लागू हो, उससे पहले बजट पर हर कोई डिटेल व्‍यवस्‍था कर ले। ताकि 1 अप्रैल से ही बजट को हम धरती पर उतारना शुरू कर सकें। हमारा समय बरबाद न हो। और मैं चाहूंगा कि आप लोग उसमें काफी…अब जैसे आपने देखा होगा, ये ठीक है कुछ चीजें ऐसी हैं जो एजुकेशन डिपार्टमेंट से जुड़ी हुई नहीं हैं। अब देश ने सोचा है कि बहुत बड़ी मात्रा में सैनिक स्‍कूलों को हम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशि‍प मॉडल की ओर आगे बढ़ेंगे। अब सैनिक स्‍कूल कैसे हों, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशि‍प का मॉडल क्‍या होगा, डिफेंस मिनिस्‍टरी उसके लिए बजट देने वाली है, तो सैनिक स्‍कूल जो बनेंगे उसके टीचर की स्‍पेशल ट्रेनिंग कैसे होगी, आज जो हमारी टीचर्स ट्रेनिंग की व्‍यवस्‍थाएं हैं, उसमें सैनिक स्‍कूल के टीचर की स्‍पेशल ट्रेनिंग क्‍योंकि उसमें फिजिकल पार्ट भी होगा, उसको हम कैसे कर सकेंगे।

उसी प्रकार से सपोर्ट्स। हमारे देश में इस ओलंपिक के बाद सपोर्ट्स ने एक विशेष आकर्षण पैदा किया है। स्किल की दुनिया का विषय तो है ही है, खेल जगत का भी है क्‍योंकि टेक्‍नीक, टेक्‍नोलॉजी, इसने भी अब सपोर्ट्स में बहुत बड़ी जगह बना ली है। तो हम जब ये सोचते हैं, उसमें हमारा कोई रोल हो सकता है।

क्‍या कभी हमने सोचा है जिस देश में नालंदा, तक्षशिला, वल्‍लभी इतने बड़े शिक्षा संस्‍थान आज हमारे देश के बच्‍चे विदेश पढ़ने के लिए मजबूर हों, क्‍या ये हमारे लिए ठीक है क्‍या? हम देखें हमारे देश से जो बच्‍चे बाहर जा रहे हैं, अनाप-शनाप धन खर्च हो रहा है, वो परिवार कर्ज कर रहा है। क्‍या हम हमारे देश में दुनिया की यूनिवर्सिटीज़ को ला करके हमारे बच्‍चों को, हमारे ही यहां एनवायरमेंट में और कम खर्चे में पढ़ाई के लिए, उनके लिए चिंता कर सकते हैं? यानी प्री-प्राइमरी से ले करके पोस्‍ट-ग्रेजुएट तक, पूरा हमारा जो खाका है, वो 21वीं सदी के अनुकूल कैसे बने?

हमारे बजट में जो कुछ भी बना है…ठीक है, इसके बावजूद भी किसी को लगे कि नहीं ऐसा होता तो अच्‍छा होता, अगले साल सोचेंगे इसके‍ लिए…अगले बजट में सोचेंगे। अभी तो जो हमारे पास उपलबध बजट है, उस बजट को हम धरती पर कैसे उतारें, अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कैसे उतारें, Optimum outcome कैसे मिले, Output नहीं, Optimum outcome कैसे मिले। अब जैसे अटल टिंकरिंग लैब, अटल टिंकरिंग लैब का काम देखने वाले लोग अलग हैं, लेकिन संबंध तो उसका‍ किसी न किसी एजुकेशन सिस्‍टम के साथ जुड़ा हुआ है। हमें इनोवेशन की बात करनी हो तो अटल टिंकरिंग लैब को हम कैसे आधुनिक बनाएंगे। यानी सारे विषय ऐसे हैं कि बजट के परिप्रेक्ष्‍य में और नेशनल एजुकेशन के परिप्रेक्ष्‍य में ये पहला बजट ऐसा है जो हम तुरंत लागू करके आजादी के इस अमृत महोत्‍सव में अमृतकाल की नींव रखना चाहते हैं।

और मैं चाहता हूं कि एक बहुत बड़ा परिवर्तन हमने लाना जरूरी है, आप सभी स्‍टेक होल्‍डर्स के साथ। आप जानते हैं जब बजट प्रस्‍तुत होता है, उसके बाद एक ब्रेक पीरियड होता है और सभी सांसद मिल करके, छोटे-छोटे ग्रुपों में बजट की बारीकी से चर्चा करते हैं और बड़ी अच्‍छी चर्चा होती है, अच्‍छी चीजें उसमें से उभरकर आती हैं लेकिन हमने उसको एक दायरा और बढ़ाया, सांसद तो इन दिनों ही कर रहे हैं, लेकिन अब हम सीधे डिपार्टमेंट के लोग स्‍टेक होल्‍डर्स के साथ बात कर रहे हैं।

यानी हमने एक प्रकार से सबका प्रयास ये जो मैं कह रहा हूं ना, ”सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास, सबका प्रयास”…इस बजट में भी सबका प्रयास, ये बहुत आवश्‍यक है। बजट, ये सिर्फ आंकड़ों का लेखा-जोखा नहीं है जी। बजट अगर हम सही ढंग से, सही समय पर, सही तरीके से उपयोग करें तो हमारे सीमित संसाधनों से भी हम बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। और ये तब संभव होता है कि बजट से क्‍या करना है, ये clarity अगर सबके मन में आ जाए।

आज की चर्चा से एजु‍केशन मिनिस्‍ट्री, स्किल मिनिस्‍ट्री उनको भी बहुत बड़ा लाभ होगा। क्‍योंकि आपकी बातों से पक्‍का होगा कि ये बजट बहुत अच्‍छा है, ढिकना है, लेकिन इसमें ये करेंगे तो मुश्किल होगा, ये करेंगे तो ठीक होगा। बहुत प्रेक्‍टीकल बातें उभर करके आएंगी। खुल करके आप अपने विचार रखिए। मूल बात है तत्‍वज्ञान की चर्चा नहीं है, व्‍यवहार जीवन में इसको धरती पर कैसे उतारना, अच्‍छे ढंग से कैसे उतारना, सरलता से कैसे उतारना, सरकार और सामाजिक व्‍यवस्‍था इसके बीच में कोई दूरी न हो, मिल करके काम कैसे हो, इसलिए ये चर्चा है।

मैं आप सबका फिर से एक बार जु़ड़ने के लिए धन्‍यवाद करता हूं, पूरे दिन भर जो आपकी चर्चाएं चलेंगी उसमें से बहुत ही अच्‍छे बिंदु निकलेंगे जिसके कारण डिपार्टमेंट तेज गति से निर्णय कर पाएगा और हम optimum हमारे संसाधनों का उपयोग करते हुए हम अच्‍छे outcome के साथ अगले बजट की तैयारी करेंगे। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

***

Also See:

newsonline

Recent Posts

Why do Indian Students want to Study Abroad

From meager 50,000 Indians going to study abroad in 1999, the numbers have risen to…

4 hours ago

Whatfix and Deloitte India Forge Strategic Alliance to Accelerate Adoption of Digital Solutions for Indian Enterprises

Whatfix, a global leader among digital adoption platforms (DAPs), has entered into a strategic alliance…

4 hours ago

The Akshaya Patra Foundation Amplifies the Partnership with BW LPG India to Fuel Mid-Day Meals Across India

The Akshaya Patra Foundation, a non-profit organisation focussed on providing unlimited food for education for…

4 hours ago

Indian Para-athlete and Disability Rights Activist Ms. Suvarna Raj Wins Prestigious United Nations SDG Action Award in Rome, Italy

In a landmark achievement for India, Suvarna Raj, a celebrated para-athlete and a passionate disability…

5 hours ago

Introducing New Exclusive Games on Parimatch: Coin Train and Fruit Box Classic

Parimatch is excited to announce the launch of two new exclusive games tailored specifically for…

5 hours ago

A Diwali Gift for Healthcare Sector: Tech Mahindra Foundation and GIZ Unveil ‘Healthcare-Careers’ Portal for Allied Professionals and Recruiters

In a strategic move to address the growing demand for skilled professionals in India's booming…

5 hours ago