चंडीगढ़, 21 नवंबर – भारत में इजराइल के राजदूत श्री नाओर गिलोन एवं उनके प्रतिनिधिमण्डल ने आज सब्जी उत्कृष्टता केंद्र, घरौंडा, करनाल और उद्यान प्रशिक्षण संस्थान का भ्रमण किया। उन्होंने एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र, रामनगर (कुरुक्षेत्र) का भी दौरा किया।
श्री नाओर गिलोन ने इजराइली तकनीकि से बने पॉली हाउस में पैदा की गई रंगीन शिमला मिर्च, छोटी मिर्च, चैरी टमाटर व पार्थो कार्येन किस्म के खीरे सहित विभिन्न प्रकार के फूलों और सब्जियों के उत्पादन को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की। राजदूत ने कहा कि मात्र एक वर्ष में यहां के किसानों ने सब्जी उत्पादन में प्रति हेक्टेयर उत्पादन क्षमता बढ़ाकर अपनी निपुण कार्यशैली और कर्मठता का परिचय दिया है।
इस मौके पर महानिदेशक, बागवानी, डॉ. अर्जुन सिंह सैनी ने बताया कि केन्द्र पर जैविक खेती के बारे पिछले लगभग छः वर्षो से निरंतर कार्य चल रहा है तथा इस केन्द्र के अथक प्रयास से सब्जी की जैविक खेती बारे बहुत ही सराहनीय तकनीक विकसित की गई है, जिसके लिए किसानों ने विशेष रूचि दिखाई व इस तकनीक को अपने खेतों में अपनाने हेतु केन्द्र के तकनीकी विशेषज्ञों से विशेष जानकारी प्राप्त की है।
डॉ. सैनी ने बताया कि विभाग द्वारा युवाओं और किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसके तहत बागवानी प्रशिक्षण संस्थान, उचानी, करनाल और छह अन्य उत्कृष्टता केंद्रों में विभिन्न पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं, जिसमें कौशल विकास मिशन (एएससीआई) के तहत 8 योग्यता पैक, 45 साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में 1800 प्रतिभागियों को कवर किया गया और 45 वेबिनार के माध्यम से 10,000 प्रतिभागियों को कवर किया जाएगा।
*उद्यान प्रशिक्षण संस्थान, उचानी करनाल के दौरे के दौरान श्री नाओर गिलोन को संस्थान के प्रिसिंपल डॉ. जोगिंद्र घनघस ने संस्थान में करवाए जा रहे कोर्सों के बारे में अवगत कराया। डॉ. जोगिंद्र घनघस ने विस्तार से श्री नाओर गिलोन को बताया कि यहां प्रदेश के किसानों को संस्थान के प्रशिक्षण कलेंडर अनुसार विभिन्न प्रकार की बागवानी का प्रशिक्षण दिया जाता है।
श्री नाओर गिलोन और उनके प्रतिनिधिमंडल ने एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्र, रामनगर (कुरुक्षेत्र) का भी भ्रमण किया। केंद्र के निदेशक डॉ. बिल्लू यादव ने श्री नाओर गिलोन का स्वागत किया और कहा कि केंद्र का मुख्य लक्ष्य हरियाणा राज्य में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देना है। इस केंद्र की मदद से हरियाणा के मधुमक्खी पालक अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए तकनीकी और अनुदान के रूप में वित्तीय सहायता ले रहे हैं।
श्री नाओर गिलोन ने केन्द्र पर चल रही परियोजनाओं के बारे में जानकारी ली और भविष्य में माशव की कार्यप्रणाली के बारे में बताया। उन्होने बताया कि माशव के दूसरे चरण में तकनीक को मधुमक्खी पालको तक पहुंचाने के लिए केन्द्र का अहम योगदान रहेगा।
डॉ. यादव ने बताया कि इसी कार्य के लिए 10 गांवों को गोद लिया गया है। इंडो इज़राइल विलेज ऑफ एक्सीलेंस (आईआईवीओई) और मधुमक्खी पालन के लिए समय-समय पर केंद्र द्वारा तकनीकी सहायता दी जा रही है। इसके बाद सभी ने शहद प्रसंस्करण इकाई और बॉटलिंग इकाई का भी दौरा किया। डॉ. यादव ने बताया कि हरियाणा के मधुमक्खी पालक इस केंद्र की सहायता से अनुदान राशि पर अपने शहद का प्रसंस्करण करवाते हैं और बोतल भर कर अपना निशान लगाते हैं और फिर बाजार में बेचते हैं।
श्री नाओर गिलोन ने कहा कि इजराइल भविष्य में भारत के विभिन्न राज्यों मेें इस तरह की कई परियोजनाएं स्थापित करेगा। इसमें अधिकतर परियोजनाएँ हरियाणा में होंगी, क्योंकि हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहां जमीन की उत्पादन क्षमता, दक्षता व वातावरण परिस्थितियों के अनुकूल हैं ।
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