Sat. Nov 23rd, 2024

Ghazal In Hindi

हम बोलते भी है तो अक्सर लगता है चिलाते है दिल-ए-दर्द की आवाज़ों को इस कदर दबाते है अर्ज़ करते है उनसे कभी तो हमे... Read More
उनके दर के दरवेश बने रहे हम इस भूल में वो हमे ख़ुद से भी ज़ायदा चाहेंगे इस भूल में ता’अबुब करते रहे हम जिस... Read More
ख़ामोश रहे वो जो जान कर भी अंजान बने रहे दो पल के सफ़र में वो हमारी हालात-ओ-हालत देखते रहे चेहरा दुखी हमारा देख के... Read More
ना जाने कौन से उज़्र लगाते थे अंजानों से असली चेहरा छिपा कर रखते थे अंजानों से क़तार ऐसे ही नहीं लगती उनके चाहने वालों... Read More
थोड़ा ही सही सफ़र तो किया अजनबी के साथ राबता तो किया हौंसला ना हुआ हमसे उनकी निस्बत में जाने का डर लगा रहा फिरसे... Read More