बच्चे दाखिला लेंगे तभी बनेंगे क्लासरूम – हरियाणा सरकार का कोर्ट को जवाब |
स्कूली बच्चों की याचिका पर पिछली सुनवाई पर हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार पर ठोका था 5 लाख का जुर्माना।
मामला सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के ना होने का।
सरकार ने हाई कोर्ट में दायर एफिडेविट में कहा कि 8240 क्लासरूम में से 415 का निर्माण कार्य पूरा हुआ।
हरियाणा सरकार के सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी वाले बहुचर्चित मामले की सुनवाई शुक्रवार को हाई कोर्ट में हुई। सरकार की तरफ से प्रधान सचिव सुधीर राजपाल, डायरेक्टर जनरल सेकेंडरी एजुकेशन, एडवोकेट जनरल के साथ व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए और एफिडेविट दायर किया। एफिडेविट में हाई कोर्ट को बताया गया कि 8240 क्लासरूम में से 415 का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, 879 का निर्माण कार्य जारी है जो दिसंबर 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा। 1372 क्लासरूम का निर्माण कार्य दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा। पीने के पानी, शौचालय और बिजली के कनेक्शन की सुविधा सभी स्कूलों में उपलब्ध करवा दी गई है।
एफिडेविट में हरियाणा सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि बाकि क्लासरूम का निर्माण बच्चों के दाखिले लेने पर निर्भर करेगा। इस पर स्कूली बच्चों के तरफ से पेश हुए एडवोकेट प्रदीप रापड़िया ने ऐतराज जताते हुए कहा कि जब क्लासरूम हो नहीं होंगे तो बच्चे दाखिला क्यों लेंगे।
रापड़िया ने कोर्ट को बताया कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार बच्चों के अनुपात में शिक्षकों का अभाव है। कोर्ट के पूछने पर प्रधान सचिव ने बताया कि शिक्षकों के लगभग 26 हजार पद खाली हैं जिनको जल्द ही भरा जाएगा। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि चुनावी आचार संहिता लागू होने में ज्यादा समय नहीं है, ऐसे में हरियाणा सरकार भर्ती कैसे कर पाएगी। जवाब में प्रधान सचिव ने कहा कि भर्ती की प्रक्रिया जारी है जिसके बारे में अगली सुनवाई पर विस्तार से जानकारी दे दी जाएगी। इस पर जस्टिस विनोद भारद्वाज ने अगली तारीख पर शिक्षकों की भर्ती से संबंधित जानकारी कोर्ट को देने के आदेश दिए।
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