राम मंदिर सदियों के अखंड तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक – चेयरमैन सुभाष बराला |
चेयरमैन ने रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के उपलक्ष्य में रखे गये हवन यज्ञ और भंडारे में की शिरकत |
हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो एवं किसान कल्याण प्राधिकरण के चेयरमैन सुभाष बराला ने सोमवार को जिला फतेहाबाद के टोहाना में रामलला प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में एफसीआई फूड सप्लाई एसोसिएशन, सैलर मुनीम एसोसिएशन द्वारा एफसीआई गोदाम में हवन यज्ञ और भंडारा में भाग लिया। उन्होंने अनाज मंडी एसोसिएशन द्वारा आयोजित हवन यज्ञ में भी आहुति डाली और लंगर ग्रहण किया। चेयरमैन श्री सुभाष बराला ने गणेश मंदिर में आरती में भाग लिया और गणेश जी, श्रीराम जी और शनिदेव देव मंदिर में पूजा अर्चना भी की। इस मौके पर आदर्श स्कूल के विद्यार्थियों ने मानव श्रृंखला बनाकर जय श्री के नारों के उद्घोष किया।
चेयरमैन सुभाष बराला ने आज के दिन को देश के लिए बड़ा और ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि करोड़ों हिंदुओं ने मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष और बलिदान किया है, जिसके फलस्वरूप आज मंदिर ने साकार रूप लिया है। श्री राम के नाम की तरह ही अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का प्रतीक है और पूरी मानवता को प्रेरणा तथा मार्गदर्शन देता रहेगा। उन्होंने कहा कि जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं है, जो हमारे राम से प्रेरित न हो। श्रीराम भारत की आस्था हैं, भारत के आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि राम सबके हैं, सब में हैं और उनकी यही सर्वव्यापकता भारत का विविधता में एकता का चरित्र दिखाती है। उन्होंने विश्वास जताया कि राम का मंदिर भारतीय संस्कृति का आधुनिक प्रतीक होगा, हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा। राम प्राचीन और आधुनिकता का समागम हैं।
चेयरमैन सुभाष बराला ने कहा कि राम मंदिर के लिए कई सदियों से चल रहा इंतजार आज पूरा हो गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्री अयोध्या धाम में बने राम मंदिर में रामलला के विराजमान समारोह में मुख्य यजमान के रूप में शिरकत कर धार्मिक रस्म निभाई है। उन्होंने कहा कि भगवान राम हमारे मन में बसे हैं, हमारी संस्कृति के आधार हैं। राम मंदिर का निर्माण कई पीढिय़ों के अखंड तप, त्याग और संकल्प का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय एकता, संस्कृति और सभी समुदायों का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने हमें कर्तव्य पालन की सीख दी है। अपने कर्तव्यों को कैसे निभाएं, यह सीख दी है, हमें प्रभु श्रीराम के दिखाए मार्ग पर चलकर अपनी विरासत और संस्कृति को सहेजने में अपनी भूमिका अदा करनी चाहिए।
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