राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने 34वें सूरजकुंड मेले का शुभारंभ किया
आज 34वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला 2020 का शुभारंभ भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रिबन काट और प्रज्जवलन कर किया।
चडीगढ, 1 फरवरी। विलुप्त हो रही हस्तकला, उनके उत्पाद और कलाकारों के संरक्षण के लिए 1987 में शुरू किया गया सुरजकुंड मेला अब विशाल रूप ले चुका है और इसका दायरा अब विदेशों तक पहुंच चुका है।
आज 34वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला-2020 का शुभारंभ भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रिबन काट और प्रज्जवलन कर किया। इस मौके पर हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने धर्मपत्नी सविता कोविन्द के साथ मेले का अवलोकन किया।
इस बार मेले का प्रभाव इतना है कि 16 दिन के मेले में 20 लाख से भी अधिक लोगों के इसे देखने आने का अनुमान है। पिछले साल 13 लाख लोग मेले को देखने पहुंचे थे, जिनमें से 1 लाख से भी ज्यादा विदेशी पर्यटक थे।
आप फूड लवर हैं, शॉपिंग के शौकिन हैं या फिर हस्तकर्था के उत्पादों को पसंद करते हैं तो सूरजकुंड मेला आपके लिए बिल्कुल सही जगह है। विश्व में सबसे बडे क्राफ्ट मेंले के तौर पर पहचान बना चुके सूरजकुंड मेले की सुदंरता देखते ही बनती है। अगर आप खाने के शौकिन हैं तो आपको यहां भारतीय व्यंजनों के अलावा चाईनिज, थाई, मुगलई, हेदराबादी और विदेशी व्यंजनों का स्वाद भी चखने को मिल जाऐगा। मेले में आने के लिए आप ऑनलाईन टिकट भी खरीद सकते हैं। मेला 40 एकड से ज्यादा के एरिया में फैला हुआ है और इस बार यहां लगभग 30 देशों, भारत के विभिन्न प्रदेशों सहित लगभग 1200 स्टाल लगाई गई हैं। इन स्टालों पर बेहतरीन और विख्यात कारिगरों द्वारा तैयार उत्पाद खरीदे जा सकते हैं।
मेले में आने वाले लोगों के मनोरंजन का भी पूरा प्रबंध है। यहां बनाए गए स्टेजों पर प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई है। पहले दिन स्टेज पर मुगलई कथक का प्रदर्शन किया गया। इसके बाद 4 फरवरी को हरियाणवी सांस्कृतिक कार्यक्रम, 5 फरवरी को गायकों द्वारा शो, 6 फरवरी को मूसिकल नाईट, 7 फरवरी को फैशन शो, 8 फरवरी को सांस्कृतिक कार्यक्रम, 9 फरवरी को फैशन शो, 10 फरवरी को सारेगामापा के गायक द्वारा गायन, 11 फरवरी को कथक डांस, 12 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुति, 13 फरवरी को जैज फ्यूजन, 14 फरवरी को शूफी नाईट व 15 फरवरी को हांस्य कवि सम्मेलन होंगे।
मेले में संस्कृति और आधुनिकता का अनोखा संगम देखने को मिलता है। जहां प्रख्यात कलाकारों द्वारा बनाए गए उत्पाद यहां उपलब्ध हैं, वहीं मेले की सुरक्षा के लिए हाईटेक व्यवस्था की गई है। जगह जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और सभी गेटों पर आने वाले लोगों की चैकिंग के लिए कडी व्यवस्था की गई है। साल दर साल इस मेले का दायरा बढता जा रहा है और इसकी लोकप्रियता अब विदेशों तक पहुंच चुकी है। हर साल मेले में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी इज़ाफा हो रहा है। यही नहीं सोशल मीडिया पर भी सूरजकुंड मेले की चर्चा है। यह मेला सही मायने में हस्तशीलपियों के लिए बेहतर प्लेटफार्म है।
इस बार के मेल में उज्बेकिस्तान सहभागी देश और हिमाचल प्रदेश सहभागी प्रदेश के तौर पर भाग ले रहे हैं। शनिवार को देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने 34वें सुरजकुंड मेले का शुभारंभ किया। हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उज्बेकिस्तान के राजदूत भी उनके साथ मौजूद रहे।
वास्तव में इस मेले के माध्यम से हरियाणा सरकार के हस्तकर्धा से जुडे लोगों को पूर्नजीवन देने के प्रयास सार्थक हो रहे हैं। अब देश के विभिन्न राज्यों के कलाकार हों या विदेशों के कलाकार इस मेले में बडे चाव से आते हैं और यहां उनको पूरा सम्मान भी मिलता है। साथ ही उनके उत्पादों के लिए भी यहां ग्राहकों कमी नहीं है। सूरजकुंड मेले के आज हुए आगाज से ही इसके अंजाम का अंदाजा लगाया जा सकता है। अगले 16 दिन चलने वाला यह मेला आने वाले दिनों में लोगों के बीच और बेहतर स्थान बना पाएगा।