प्राकृतिक संसाधनों को आने वाली पीढिय़ों के लिए बचाकर नहीं रखेंगे तो हमारी पीढिय़ों को पानी-भोजन कैसे मिलेगा |
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय (एमएचयू),करनाल के अनुसंधान निदेशालय द्वारा मृदा स्वास्थ्य संबधी समस्याओं के प्राकृतिक हल मेरी माटी मेरा देश विषय पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा प्रायोजित किसान कार्यशाला एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज ने कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लिया। कार्यशाला में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से आए किसानों ने भी भाग लिया।
श्री काम्बोज ने एमएचयू द्वारा किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि आज जो विषय एमएचयू ने चुना वो समय की मांग हैं। अगर हम प्राकृतिक संसाधनों को आने वाली पीढिय़ों के लिए बचाकर नहीं रखेंगे तो हमारी पीढिय़ों को पानी, शुद्ध वातावरण, खाद्यान किस प्रकार से मिल पाएगा। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि हम इको सिस्टम में संतुलन बनाकर आगे बढ़े।
उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष काफी चुनौतियां है, जिनको अवसर में बदलकर समाधान खोजना है। हर जरुरत जैसे भोजन, पानी सब धरती से प्राप्त होता हैं, इसलिए हमारा कर्तव्य है कि धरती के स्वास्थ्य को बनाकर रखें ताकि आने वाले समय में भी सभी की आवश्यकताएं पूरी हो सके ओर इको सिस्टम भी बना रहे।
उन्होंने कहा कि हम सभी को मिलकर विकसित भारत बनाना है, ताकि विदेशी लोग भी भारत की उन्नत खेती को देखने के लिए आएं न की हम विदेशों में जाकर खेती देखें। उन्होंने किसानों से कहा इस वक्त सभी को संतुलित अप्रोच अपनाने की जरुरत है, प्राकृतिक संसाधन जैसे फसल अवशेषों, गोबर आदि जो कि पुरानी खेती पद्वति है को रसायनिक के साथ समग्र रूप से प्रयोग करेंगे तो हम प्राकृतिक संसाधनों को भूमि की उर्वरता शक्ति को बरकरार रख पाएंगे।
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